स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर राज्य में आयोजित होने वाली ग्राम सभाओं में वन अधिकार के प्रति जागरूकता लाने के लिए वन अधिकार मान्यता प्रपत्र का वाचन किया जाएगा। ऐसे गांव जो वर्षों से परंपरागत रूप से वनों का संरक्षण करते आये हैं, ग्राम सभा के माध्यम से अपनी परंपरागत सीमा के अनुसार सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। ग्राम सभा को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की प्रक्रिया प्रारंभ करने का अधिकार है।
अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम 2006 सामुदायिक वन अधिकार को सुरक्षित करते हैं। ग्रामसभा में वन अधिकार मान्यता प्रपत्र के वाचन कर जानकारी दी जाएगी कि निस्तार के रूप में सामुदायिक अधिकार चाहें, किसी भी नाम से हों, जिनके अंतर्गत तत्कालीन राजाओं के राज्यों, जमींदारों या ऐसे अन्य मध्यवर्ती शासकों में प्रयुक्त अधिकार भी सम्मिलित हैं। गौण वन उत्पादों के, जिनका गांव के सीमा के भीतर या बाहर पारंपरिक संग्रह किया जाता रहा है। स्वामित्व संग्रह करने के लिए पहुंच, उनका उपयोग और व्ययन का अधिकार रहा है। यायावारी या चारागाही समुदायों की मत्स्य और जलाशयों के अन्य उत्पाद, चारागाह (स्थापित और घुमक्कड़ दोनों) के उपयोग या उन पर हकदारी और पारंपरिक मौसमी संसाधन तक पहंुच के अन्य सामुदायिक अधिकार। वे अधिकार, जिनके अंतर्गत आदिम जनजाति समूहों और कृषि पूर्व समुदायों के लिए गृह और आवास के लिए सामुदायिक भू-धृतियां भी हैं। ऐसे किसी सामुदायिक वन संसाधन का संरक्षण, पुनरूज्जीवित या संरक्षित या प्रबंध करने का अधिकार, जिसकी वे सतत उपयोग के लिए परंपरागत रूप संरक्षा और संरक्षण कर रहे हैं। जैव विविधता तक पहंुच का अधिकार और जैव विविधता से संबंधित बौद्धिक संपदा और पारंपरिक ज्ञान का सामुदायिक अधिकार की जानकारी ग्राम सभा में दी जाएगी।